यहा हर शख्स के चेहरे बहुत है,
मासूम आँखोंमे राज गहरे बहुत है,
धुंधला सा दिखता है हर इंसान यहाँ,
तुम्हारे शहर मे कोहरे बहुत है,
हमे तो आदत है मैफिलों मे झूमने की
दिल के समंदर में लहरे बहुत है,
यहा हर कदम संभाल के रख मेरे दोस्त,
इश्क की गलियोंमे हुस्न पे पहरे बहुत है....!
-परशुराम महानोर
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