Tuesday, March 20, 2018

बीते पलोंकी यादें


दूर के फासलें, पास लगने लगे,
फिर नये अनकहें, ख़्वाब सजने लगे,

ख्वाईशें फिर नयी, ऐसी जगने लगी,
फुल चाहत के, चेहरेपे खिलने लगे,

हम न जाने कहा, ये रुका काफ़िला,
रास्ते मंजिलोंसे, अब जुड़ने लगे,

ना कहा ना सुना, फिर भी समझा दिया,
राज़ आँखोंसे दिलमें, अब उतरने लगे,

क्या पता अब हमें, हैं जाना कहा,
तेरे सायें के पीछे, सब चलने लगे,

हैं यकीन अब मुझे, तूम मिलोगे यही,
हर दुआमें तुझे ही, हम मांगने लगे,
-परशुराम महानोर

No comments:

Post a Comment

नवीन वर्ष आणि व्यायामाचा संकल्प

लवकरच २०१९ संपून २०२० हे नवीन वर्ष सुरु होणार आहे.  प्रत्येक वर्षाच्या सुरवातीला अनेक संकल्प केले जातात. तया मधला सर्वात आवडीचा आणि दरवर्षी...